प्रतीक बाघमारे
निजीकरण की राह पर चल रही मोदी सरकार अब एक और कंपनी का बेचने करने जा रही है। सरकार ने शनिवार को भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में विनिवेश के लिए बोली मंगाई है। ऑयल रिफायनिंग में बीपीसीएल भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।
बीपीसीएल में विनिवेश होने से पेट्रोलियम की खुदरा बिक्री से सरकार का एकाधिकार खत्म होगा। इसमें सरकार की कुल 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य रखा है।
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मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 2.1 लाख करोड़ रुपये विनिवेश का लक्ष्य रखा है। बीपीसीएल का निजीकरण इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा महत्पूर्ण है। विनिवेश में केवल निजी कंपनियां आमंत्रित चुकी ये निजीकरण की प्रक्रिया है इसलिए इसमें कोई भी सरकारी कंपनी आमंत्रित नहीं होगी. यहां तक की जो भी निजी कंपनी इस प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहती है उसकी नेटवर्थ कम से कम 10 अरब डॉलर होनी ही चाहिए।
अगर कई कंपनियां मिलकर कंसोर्टियम के रूप में इस प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहती हैं तो उस समूह में चार से ज्यादा कंपनियां नहीं होनी चाहिए।
28 और सार्वजनिक कंपनियां बिकने की कग़ार पर!
मोदी सरकार ने बीते दिनों देश की 28 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पी.एस.यू) को बेचने की तैयारी शुरू कर दी है। इन सभी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने सैद्धांतिक रूप से हामी भर दी है।
बिकने वाली कंपनियों में स्कूटर्स इंडिया लि. , ब्रिज ऐंड रूफ कंपनी इंडिया लि, हिंदुस्तान न्यूज प्रिंट लि., भारत पंप्स ऐंड कम्प्रेसर्स लि सहित 28 कंपनियां शामिल थी। लोकसभा में जब तमिलनाडु के डी.एम.के सांसद पी वेलुसामी ने ऐसी कंपनियों का ब्यौरा मांगा जिन्हें हिस्सेदारी बेचने के लिए चिन्हित किया गया हैV
इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने 28 कंपनियों को बेचने की मंशा जाहिर की। पहले कौन सी ऐसी कंपनियों को बेचा गया है? मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सरकार ने विनिवेश के जरिए 1 लाख 5 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन सरकार अपने लक्ष्य के आसपास भी नहीं है।
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सरकार ने अबतक करीब 17 हजार करोड़ रुपये ही जुटाएं हैं। लेकिन इतने ही पैसे जुटाने में काफी कंपनियों की हिस्सेदारी बेची जा चुकी है। पिछले साल 20 नवंबर को सरकार ने फैसला किया था कि बीपीसीएल समेत 5 बड़ी कंपनियों के हिस्से बेचे जाएंगे। ये कंपनियां हैं- BPCL, CONCOR, SIC, THDC और NEEPCO।
उदाहरण के लिए, NTPC का विनिवेश प्रतिशत साल 2014 में 0.04% था जो कि साल 2017 में बढ़कर 5% हो गया था। देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति किसी भी तरह से फिलहाल ऊपर उठती हुई तो नहीं दिख रही है। इस आर्थिक सुस्ती या मंदी जो भी कह लें, इससे निबटने के लिए सिर्फ रिजर्व बैंक से मोटी मोटी रकम उधार लेना काफी नहीं है। विनिवेश कितना कारगर रहेगा ये भी देर-सबेर सभी को समझ आ ही जाएगा। लेकिन तब तक आप हम बस यही मना सकते हैं कि हम या हमारे जानने वालों के घर चूल्हा जलता रहे।
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