बिहार देश का तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है लेकिन यहां अब तक एक भी कोराना वायरस से संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है.ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोरोना वायरस अभी बिहार नहीं पहुंचा है? कई लोग इस पर हैरानी जता रहे हैं.
बिहार के जाने-माने डॉक्टर अरुण शाह ने चमकी बुखार (एइएस संक्रमण) पर ख़ूब काम किया है.वो कहते हैं, “यह आश्चर्य इसलिए है क्योंकि यहां लोग उपेक्षा कर रहे हैं. आमजन में डर है. मगर सिस्टम लाचार और बदहाल है. केवल स्कूल-कॉलेज बंद करना, आयोजनों को रद्द करना ही एहतियात नहीं हैं. सबसे ज़रूरी है इस वायरस को डीटेक्ट करना. बिहार में डायग्नोसिस की यह प्रक्रिया हो ही नहीं पा रही है.”
डॉ शाह बिहार में कोरोना के संदिग्ध मरीज़ों की पहचान और उनके टेस्ट की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं.वो कहते हैं, “सबसे पहले तो बिहार में कोर्इ लैब नहीं है, जहां यह जांच हो सके. सारे ज़िलों से लिए गए जांच के सैंपल्स पटना में एक जगह एकत्र किए जाते हैं, फ़िर इन्हें कोलकाता जांच के लिए भेजा जाता है. वहां से रिपोर्ट आती है. यह एक लंबी प्रक्रिया है. ऐसे में सवाल है कि सैंपल्स की क्वालिटी क्या वैसी ही रह पाती है जैसी रहनी चाहिए थी!”